शहीद पर्वत

प्रकृति और पर्यावरण से प्रेम,शहीदों के प्रति श्रद्धा और देश के प्रति समर्पण का भाव सत्यनाराण पटेल को अपने पिता,गुरू और मार्गदर्शक श्री रामेश्वर पटेल से विरासत में मिला है.इन्ही संस्कारों ने उन्हें इंदौर में शहीद पर्वत विकसित करने की प्रेरणा दी. इंदौर के पूर्वी छोर पर बने देवगुराडिय़ा के प्राचीन शिव मंदिर के पास की पहाड़ी को शहीद सद्भाव नामक सामाजिक संस्था शहीद पर्वत के रूप में एक अनुपम राष्ट्र्रीय स्थल के रूप में विकसित विकसित कर रही है.

इसे एक ऐसे पुण्य स्थल के रूप में विकसित करने की योजना है जहां आकर लोग उन शहीदों के संघर्षों और बलिदानों को समझ सके जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की बलि लगा दी.नई पीढ़ी के मन में ऐसे देशभक्तों की शहादत के प्रति श्रृद्धा का भाव जगे और देशभक्ति के साथ-साथ उन्हें प्रकृति और पर्यावरण की रक्शा के लिए भी प्रेरित किया जा सके.

काँग्रेस अध्यक्ष सोनियाजी और माननीय राहुलजी की प्रेरणा से इसे शहीद पर्वत का नाम दिया गया है.इसका नामकरण 27 फरवरी 2002 को अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद के बलिदान दिवस पर किया गया. इस अवसर पर संस्था के मार्गदर्शक श्री रामेश्वर पटेलस्वतंत्रता संग्राम सैनानी श्री नरेंद्रसिंह तोमर श्री श्याम कुमार आजाद एवं श्री हरिशचंद्र पाटिल तत्कालीन जिलाधीश श्री मो. सुलेमान डीआईजी बीएसएफ मो जियाउल्ला और पुलिस अधीक्षक श्री बी बी एस ठाकुर विशेष रूप से उपस्थित थे. इस अवसर पर स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों का सम्मान भी किया गया.

  • शहीद पर्वत के विकास के लिए शहीद सद्भाव स्मृति संस्था ने एक विस्तृत योजना बनाई है.इसके अनुरूप यहाँ महात्मा गांधी भगतसिंह, चंद्रशेकर आजाद,खुदीराम बोस, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी सहित देश के सभी शहीदों के जीवन और संघर्ष के अनछुए पहलुओं को विभिन्न माध्यमों में लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा. इसके तहत इन शहीदों के जीवन पर केंद्रित एक संग्रहालय,सन्दर्भ कक्ष और विश्व विद्यालय द्वारा मान्यता प्राप्त शोध केंद्र विकसित किया जाना है.जिसके माध्यम से भारत के स्वतन्त्रता संग्राम एवं स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर तथा और भारत की सामाजिक समरसता की परम्परा और सामाजिक आर्थिक विकास के विभिन्न पहलुओं पर अध्ययन और शोध को बढ़ावा दिया जाए.इस बहुआयामी केन्द्र में शहीदों के जीवन पर केंद्रित वृत्तचित्र भी बनवाए जाएंगे. इन वृत्तचित्र तथा फिल्मों के प्रदर्शन के लिए यहाँ एक आडिटोरियम का निर्माण भी प्रस्तावित है.
  • शहीद पर्वत का एक अहम आयाम लोगों को प्रकृति और पर्यावरण से जोडना, उन्हें जैव विविधता से अवगत कराना तथा प्रकृति मित्र जीवन शैली को बढ़ावा देना भी है.जैव विविधता को बचाए रखने और बढाने के लिए विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में यहाँ तरह-तरह के वृक्ष लगाए जा रहे है.बरगद,नीम,पीपल,अमरुद,गुलमोहर,आम,अनार और कनेर के जैसे पारंपरिक वृक्षों के साथ-साथ शहीद पर्वत पर औषधीय महत्त्व के हजारों वृक्ष लगाए गए है.भविष्य में इन वृक्षों की उपयोगिता बताने वाली लघु पुस्तिकाएं भी प्रकाशित की जाएँगी.इस पावन स्थान से लोगों को पौधारोपण के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित भी किया जा रहा है. शहीद पर्वत पर जैव विविधता,पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर शोध,शिक्षण और अनुसंधान के लिए एक अध्ययन केंद्र भी विकसित किया जाएगा.
  • सम्पूर्ण पर्वत को जल संवर्धन इकाई के रूप में भी विकसित किया जा रहा है. राजीव गांधी जल संवर्धन कार्यक्रम के अंतर्गत अनेक छोटे-बड़े तालाब बनाए गए है. निकट भविष्य में यहाँ जल संरक्षण प्रशिक्षण केन्द्र का निर्माण प्रस्तावित है.पर्वत के शिखर पर भारत माता का मंदिर और सर्वधर्म प्राथना स्थल भी भविष्य की योजनाओं में शामिल है.
  • शहीद पर्वत पर शोध और अध्ययन के लिए आने वाले लोगों की सुविधा के लिए एक गेस्ट हाउस का निर्माण भी प्रस्तावित है.
  • मुख्य प्रवेश द्वार को इंडिया गेट की प्रतिकृति के रूप में विकसित करने की योजना है. मुख्य द्वार से शिखर तक मार्ग के दोनों ओर शिलालेख लगाए जाएंगे जिन पर शहीदों के नाम एवं विवरण होंगे.

हम चाहते हैं कि इस पावन अभियान से पूरे देश के जन मानस को जोड़ा जाए. लोग इस अनुपम प्रयास के पीछे छिपी देश प्रेम की भावना को समझें और अपने मन वचन और कर्मों को इससे जोड़े. इसे और बेहतर बनाने के लिए आपके सुझाव सहयोग और सहभागिता की अपेक्षा है. आप अपने सुझाव इस मेल आई डी () पर भेज सकते है. शहीद पर्वत की परिकल्पना को पूरा करने में लगी शहीद सद्भाव संस्था की सदस्यता के लिए ये पृष्ठ देखे.

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