प्रेरणा एवं प्रयत्न

संस्था के संस्थापक व अध्यक्ष सत्यनारायण पटेल को अपने पिता व गुरू श्री रामेश्वर पटेल से पर्यावरण से प्रेम व शहीदों के प्रति श्रद्धा विरासत में मिली। उन्ही की प्रेरणा से श्री सत्यनारायण पटेल ने रालामंडल और देवगुराडिय़ा पर्वत को शहीद पर्वत के विकास का स्वप्न संजोया। इसके बाद वे अपनी सम्पूर्ण उर्जा, संसाधनों और क्षमता के साथ इस लक्ष्य को प्राप्त करने में जुटे हुए है.

इस पर्वत को हरियाली की चादर ओढ़ाने के लिए इस संस्था के माध्यम से उन्होंने पीपल, नीम, आम,बड़ आदि के हज़ारो पौधे रोपे और वितरित भी किये जिसके चलते रालामंडल को फिर से अपना पुराना गौरव प्राप्त हुआ। राजीव गांधी जल संवर्धन कार्यक्रम व अन्य मदों से कई छोटे जलाशय पर्वत पर बनाए गए हैं। इसका सुखद परिणाम मिला कि पौधों की जड़ों को पर्याप्त जल मिलने से बंजर हो चले पर्वत की ओर फिर से बहार ने अपने कदम बढ़ाए हैं। देवगुराडिय़ा के शिव मंदिर में बनी गौमुखी, जिसमें से कभी जल की धारा अनवर प्रवाहित होती थी और जो लगभग 25 वर्षों से अधिक समय से बंद थी। शहीद पर्वत पर किए गए जल संवर्धन से सन् 2004 में गौमुखी में से फिर से जल की धार फूट पड़ी और निरंतर 2 माह तक चलती रही।

शहीद पर्वत की अवधारणा को लेकर पूरे देश में संस्था द्वारा सद्भावना यात्रा आयोजित की गई। इस यात्रा से संस्था का मनोबल और भी सशक्त हुआ।कई राज्यों के राज्यपाल महोदय व माननीय मुख्यमंत्रीगण शहीद पर्वत अभियान से प्रभावित हुए एवं शहीद पर्वत पर पौधारोपण के लिए आने की स्वीकृति प्रदान की।

सेना के तीनों अंगों के अध्यक्षों ने यात्रा एवं इसके पवित्र उद्देश्य की सराहना की। उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि वे शहीद पर्वत पर भारतीय सेना के गौरव के प्रतिक के रूप में सन् 1971 के युद्ध में पाकिस्तान सेना से छीना हुआ टैंक एवं एक तोप रखेंगे।तत्कालीन राष्ट्रपति महोदय, तत्कालीन उपराष्ट्रपति महोदय एवं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस यात्रा के लिए संस्था को साधुवाद देकर शहीद पर्वत के लिए शुभकामनाएं दीं।

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