उद्देश्य

  • संस्था का मूल उद्देश्य बिना किसी भेदभाव के समाज के सभी वर्गों को संगठित कर राष्ट्र की सेवा करना तथा रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से सामाजिक सदभाव और राष्ट्रीय एकता की भावना का विकास करना।
  • सामाजिक और आर्थिक असमानता को दूर कर सभी वर्गों में परस्पर प्रेम व सहयोग की भावना विकसित करना।
  • भारतवर्ष के शहीदों और महापुरूषों के सपनों के भारत का निर्माण करना। बच्चों को उनके आदर्श मार्ग पर चलने हेतु प्रेरित किया जाए।
  • नि:शक्तजनों एवं समाज के गरीब वर्ग के उत्थान हेतु प्रयत्न करना। शासकीय लोकहितकारी योजनाओं की जानकारी आमजन तक पहुंचाना।
  • विचार गोष्ठियों, परिचर्चाओं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं के व्यक्तित्व विकास के लिए प्रयत्न करना।
  • आतंकवाद, भ्रष्टाचार आदि राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के विरोध में जनजागृति उत्पन्न करना।
  • समय-समय पर चिकित्सा, शिक्षा, खेल, श्रमदान, रक्तदान शिविर  लगाकर संस्था के उद्देश्यों की पूर्ति करना।
  • फासीस्टवादी, सांप्रदायिकत और अराजक ताकतों का सामना कर उन्हें समाप्त करना।शहीद पर्वत के विकास हेतु प्रयत्न करना।
  • संस्था के अध्यक्ष सत्यनारायण पटेल द्वारा दिए गए पांच सूत्रों को अत्मासात कर मातृभूमि की सेवा करना। जल, जवान, जंगल, जमीन व जानवर (गौरक्षा) :-

 

जल – जल जीवन का आधार है। यह सत्य जानते हुए भी हमने जल का भयंकर दुरूपयोग किया है। धरती पर नलकुपों के गहरे घाव किए मगर उसके उपचार (जल पूनर्भरण) के लिए कुछ भी नहीं किया। सदियों से प्रकृति द्वारा संजोये गए जल को हम बड़ी ही निर्दयता से खर्च कर रहे है। अगर आज भी हम नहीं चेते तो आने वाली पीढ़ी हमें कभी क्षमा नहीं करेगी। हमने मालवा अंचल में हर परिवार के लिए पानी का बजट कार्यक्रम चलाया, अर्थात पानी कितना लिया और कितना लौटाया, इसकी गणना की गई। इस योजना के बहुत ही सुखद परिणाम प्राप्त हुए। इसके साथ-साथ भू-जल संरक्षण के लिए क्षेत्र में लगभग 200 छोटे-बड़े तालाब बनवाए।

जवान – जवान से तात्पर्य राष्ट्र की उस असली संपदा से है, जो किसान के रूप में खेतों में हल चला रही , सेना के रूप में सीमा पर डटकर खड़ी है, शिक्षा, चिकित्सा, समाजसेवा, खेल, व्यापार, धर्म और पर्यावरण आदि के क्षेत्र में अपना योगदान दे रही है। इन युवाओं को संगठीत कर इनकी उर्जा को सही दिशा देकर ही राष्ट्र को विकसित और सशक्त बनाया जा सकता है। इसी उद्देश्य से संस्था ने राष्ट्रीय एकता सद्भावना यात्रा आयोजित की थी. राष्ट्रपति,उपराष्ट्रपति, व माननीय सोनिया जी सहित कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस महायात्रा की सराहना की।

जंगल – जंगलों को नष्ट करके हमने स्वयं अपने अस्तित्व के लिए खतरा उत्पन्न कर लिया है। मालवा में कभी जंगल व प्राकृतिक संसाधन प्रचुर मात्रा में थे। विगत 30 वषों में वन्य सम्पदा को बहुत नुकसान हुआ है। हमें विरासत में जो अकुत वन सम्पदा मिली, उसे हम सहेज नहीं पाए। अपने इस अपराध का प्रायश्चित हम निरंतर वनों की सेवा करके ही कर सकते हैं। हमारे कार्य क्षेत्र में मेरे संगी साथी एक अभियान चला रहे हैं, जिसके तहत सुख-दुख के हर प्रसंग पर पोधारोपण के माध्यम से स्मरणीय बनाते हैं। विशिष्ट कर पांच किस्मों (नीम, पीपल, तुलसी, बढ़ व आम) के लाखों पौधे हमने रालामंडल और शहीद पर्वत क्षेत्र में रोपे और लाखों वितरित किए गए। वर्तमान में संस्था का लक्ष्य शहीद पर्वत पर फल-फुल के पौधों और औषधीय वनस्पति को प्रचुर मात्रा में उगाना है।

जमीन मुझे मेरे देश की माटी से बेहद प्यार है। इसकी आन, बान और शान के लिए मैं अपना सर्वस्व न्यौधावर कर सकता हूं। जमीन चाहे काश्मीर की हो या कहीं की,हमें उसकी रक्षा-सुरक्षा करनी होगी। वह चाहे पड़ोसी देशों से करनी पड़े, आतंकवादियों से करनी पड़े, अतिक्रमण करने वालों से करनी पड़े, चाहे प्रदूषण और रासायनिक उर्वरकों से। हमारे देश की 80 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है और जमीन पर निर्भर है। आसानी से अधिक फसल पाने की लालसा में हमने रासायनिक दवाओं, उर्वरकों का इतना अधिक उपयोग किया कि उससे जमीन की उत्पादन क्षमता समाप्त हो रही है। हमरा राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास है कि किसानों को पुन: जैविक खेती के लिए प्रेरित करें। लोगों के मन में जमीन के प्रति सम्मान का भाव उत्पन्न करें। जैसा कि हमारे पूर्वजों के मन में था।

जानवर (गौरक्षा) गौमाता हमारी प्रथम पूज्य संरक्षक है, जिसे पुराणों में देवी के रूप में प्रतिपादीत किया गया है। वर्तमान में इनकी दशा अत्यंत दयनीय है। विशिष्टकर प्लास्टीक खा लेने और कुपोषण के कारण गायों के स्वास्थ्य में निरंतर गिरावट आ रही है। हमें बहुत ही तत्परता और गंभिरता के साथ इस पर ध्यान देना होगा।

शहीद पर्वत प्रकल्प पर कार्यारंभ

संस्था के जन्म के साथ ही 15 अगस्त 1997 को आजादी की पचासवीं वर्षगांठ पर शहीद पर्वत प्रकल्प को संस्था का प्रथम लक्ष्य व अभियान निरूपित किया गया। शहीद पर्वत के विकास का संकल्प लेकर विधिवत कार्य प्रारंभ किया गया। कार्यकर्ताओं ने श्रमदान कर कार्य इसका शुभारंभ किया।

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शहीद पर्वत प्रकल्प पर कार्यारंभ

संस्था के जन्म के साथ ही 15 अगस्त 1997 को आजादी की पचासवीं वर्षगांठ पर शहीद पर्वत प्रकल्प को संस्था का प्रथम लक्ष्य व अभियान निरूपित किया गया। शहीद पर्वत के विकास का संकल्प लेकर विधिवत कार्य प्रारंभ किया गया। कार्यकर्ताओं ने श्रमदान कर कार्य इसका शुभारंभ किया।

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