शहीद पर्वत का नामकरण

शहीद पर्वत का नामकरण :-

इंदौर के देवगुराडिय़ा पर्वत का शहीद पर्वत के रूप में नामकरण अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद के बलिदान दिवस 27 फरवरी 2002 को किया गया। इस अवसर पर संस्था के मार्गदर्शक श्री रामेश्वर पटेल, स्वतंत्रता संग्राम सैनानी श्री नरेंद्रसिंह तोमरजी,तत्कालीन जिलाध्यश श्री मो. सुलेमान,बीएसएफ के डीआईजी मो. जियाउल्ला साहब, पुलिस अधीक्षक श्री बी. बी. एस. ठाकुर, स्वतंत्रता संग्राम सैनानी श्री श्याम कुमार आजाद, श्री हरिशचंद्र पाटिल के विशेष अतिथ्य में किया गया।
आतंकवाद, भ्रष्टाचार एवं अराजकता के विरूद्ध अलख जगाने और ज्यादा से ज़्यादा लोगों को शहीद पर्वत अभियान से जोडऩे के उद्देश्य से संस्था द्वारा सद्भावना यात्रा अयोजित की गई.28 जून 2002 को शहीद पर्वत से प्रारंभ हुई ये यात्रा अनेक राज्यों में बने धार्मिक और राष्ट्रीय तीर्थ स्थलों जैसे जलियावला बाग, राष्ट्रपिता महात्मा व पूर्व प्रधानमंत्री प्रियदर्शिनी इंदिरा गांधी के समाधी स्थलों आदि पर होकर 13 जुलाई 2002 को पुन: इंदौर पहुंची।इस दौरान

  1. अनेक राज्यों के राज्यपाल महोदय एवं माननीय मुख्यमंत्रीगण शहीद पर्वत अभियान से प्रभावित हुए एवं शहीद पर्वत पर पौधारोपण हेतु आने की स्वीकृति प्रदान की।
  2. बाघा सीमा पर तैनात जवानों ने बहुत ही आत्मीयता से स्वागत किया। यात्रा में जो तिरंगा ध्वज लेकर चला जा रहा था, वह उन्होंने संस्था अध्यक्ष सत्यनारायण पटेल से ले लिया और उन्हें सीमा से दूसरा ध्वज देते हुए कहा कि सीमा पर इसकी रक्षा हम कर रहे हैं व देश के अंदर इसकी रक्षा आपको करना है।
  3. सेना के तीनों अंगों के अध्यक्षों ने यात्रा एवं इसके पवित्र उद्देश्य की सराहना की। उन्होंने यह आश्वासन दिया कि वे शहीद पर्वत पर भारतीय सेना के गौरव के प्रतिक के रूप में सन् 1971 के युद्ध में पाकिस्तान सेना से छीना हुआ टैंक एवं एक तोप रखेेंगे।
  4. तत्कालीन राष्ट्रपतिजी, उरपराष्ट्रपतिजी एवं कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी ने इस यात्रा के लिए संस्था को साधुवाद देकर शहीद पर्वत के लिए शुभकामनाएं दीं।

व्यापक उद्देश्य और कावड़ यात्रा :-

मालवा क्षेत्र के गिरते जल स्तर के प्रति जागरूकता बढ़ाने एवं नर्मदा, शिप्रा नदियों को जोडऩे के संकल्प के प्रतिक स्वरूप संस्था अध्यक्ष सत्यनारायण पटेल के नेतृत्व में 21 जुलाई 2003 सोमवार को ओंकारेश्वर से कांवड़ यात्रा निकाली गई, जो 28 जुलाई 2003 सोमवार को उज्जैन में समाप्त हुई। इन दोनों नदियों के जुड़ जाने से मालवा क्षेत्र की पांच नदियां शिप्रा, चंबल, गंभीर, खान और कनार पून: जीवित हो जाएंगी।

रेल लाईन की मांग :-

संस्था द्वारा खंडवा से इंदौर तक की छोटी रेल लाईन को बड़ी रेल लाईन में बदलने की मांग पुरजोर ढंग से उठाई गई। इस रेल लाईन के उन्नत हो जाने से इंदौर जो कि एक प्रमुख औद्योगिक एवं व्यापारिक केंद्र है तथा महू जो हमारी एक अत्यन्त ही महत्वपूर्ण सैन्य छावनी है। दोनों का देश के सभी क्षेत्रों से सीधा एवं त्वरित संपर्क हो जाएगा। लम्बी दुरियों की अनेक गाडिय़ां यहां से निकलेंगी।

बेल-पत्र एव पुष्प वितरण :-

शिवभक्तों की सुविधा हेतु संस्था द्वारा सन् 2002 से प्रतिवर्ष देवगुराडिय़ा में लगने वाले महाशिवरात्रि में पाण्डाल लगाकर बैठने, भजन करने एवं पानी इत्यादी की व्यवस्था की जाती है तथा बेल-पत्र व पुष्प वितरित किए जाते हैं। इस अवसर पर भजन संध्या व मालवा उत्सव का आयोजन भी किया जाता है।

व्याखानों का आयोजन :-

स्थानिय स्तर पर अनेक छोटे- बडे प्रयत्न कर गोष्ठियों के माध्यम से सामाजिक चिंतन एवं जागरण के उद्देश्य से संस्था द्वारा व्याख्यानों का आयोजन किया जाता है।

Print Friendly